वृक्ष आर्थिकी के एक बड़े स्त्रोत हैं। ये ईंधन से लेकर इमारती लकडियां हमें देते हैं व कितने ही उद्योग के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं। कागज उद्योग बहुत कुछ वृक्षों पर टिका हुआ है। वन्य संसाधनों से जुड़े उद्योग रोजगार का साधन बनते हैं और वृक्षों से प्राप्त विविध उत्पाद राष्ट्रिय आय में वृद्धि करते हैं। निस्संदेह रूप में हरी चादर के रूप वृक्ष इस धरा के श्रंगार हैं, जो किसी भी स्थान के प्राकृतिक सौंदर्य में चार चाँद लगाते हैं। इस तरह से ये पर्यटन का आधार हैं व पथिकों के लिए अपनी शीतल छाया के साथ शांति के आगार हैं।
Trees are a big source of economy. They give us from fuel to timber and provide raw material for many industries. The paper industry is largely dependent on trees. Industries related to forest resources become a means of employment and various products obtained from trees increase the national income. Undoubtedly, trees in the form of green sheets are the adornment of this earth, which add to the natural beauty of any place. In this way, they are the basis of tourism and are a haven of peace for the wanderers with their cool shade.
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महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने महान ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के नवें समुल्लास में स्वर्ग की परिभाषा देते हुए कहा है कि सुख विशेष का नाम स्वर्ग और दुःख विशेष का नाम नरक होता है। स्वः नाम सुख का होता है। स्वः सुखं गच्छति यस्मिन् स स्वर्गः अतो विपरीतो दुःखभोगो नरक इति। जो सांसारिक सुख है वह सामान्य स्वर्ग और जो परमेश्वर...