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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र अग्रसेन चौक बिलासपुर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित बिलासपुर में एकमात्र Legal केन्द्र है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आर्यसमाज संस्कार केन्द्र अग्रसेन चौक बिलासपुर के अतिरिक्त बिलासपुर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Sanskar Kendra Agrasen Chouk Bilaspur is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Sanskar Kendra Agrasen Chouk Bilaspur is the only controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Chhattisgarh. We do not have any other branch or Centre in Bilaspur. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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प्रतिभा और प्रतिष्ठा

यह सर्वविदित है कि संत कबीर बुनकर थे, रैदास चर्मकार का काम करते थे, नंदा नाई थे, नामदेव दर्जी का काम करते थे। श्योनाक सफाई का काम करते थे, रैक्य ऋषि गाड़ी में सामान ढोते थे। इन श्रमपरक कार्यों से उनकी गरिमा गिरी नहीं, बल्कि प्रतिभा निखरी तथा प्रतिष्ठा बढ़ी। फिर श्रमपरक कार्यों से हमारी प्रतिष्ठा क्यों गिरेगी ? भगवान कृष्ण ने इसी तथ्य को समझाते हुए लोगों को स्वधर्म की शिक्षा दी और कहा कि अपना कर्म करते हुए प्रत्येक व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी है, चाहे वह कोई भी क्यों न हो ? इतना ही नहीं, इस कर्म-धर्म की, श्रम की प्रतिष्ठा स्थापित करने के लिए उन्होंने अपने जीवन में सब तरह के कर्म किए। ग्वाला बनकर गाय चराईं। सारथी बनकर अर्जुन का रथ हँका। राजसूय यज्ञ में जमीन साफ की।

It is well known that Sant Kabir was a weaver, Raidas was a tanner, Nanda was a barber, and Namdev was a tailor. Shyonak used to do cleaning work, Rakya Rishi used to carry goods in the car. Due to these laborious works, his dignity did not fall, but talent flourished and prestige increased. Then why would our reputation be tarnished by laborious works? Explaining this fact, Lord Krishna taught the people of Swadharma and said that every person is entitled to salvation while doing his work, no matter who he is. Not only this, he did all kinds of deeds in his life to establish the prestige of this karma-dharma, labor. Cow grazing as a cowherd. Arjuna's chariot lit up as a charioteer. Cleared the land in Rajasuya Yagya.

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  • वैदिक स्वर्ग का स्थान

    महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने महान ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के नवें समुल्लास में स्वर्ग की परिभाषा देते हुए कहा है कि सुख विशेष का नाम स्वर्ग और दुःख विशेष का नाम नरक होता है। स्वः नाम सुख का होता है। स्वः सुखं गच्छति यस्मिन् स स्वर्गः अतो विपरीतो दुःखभोगो नरक इति। जो सांसारिक सुख है वह सामान्य स्वर्ग और जो परमेश्‍वर...

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