सन् 1948 के बात जिनते भी बड़े प्राकृतिक चिकित्सक थे भारत के थे, उन सबके विशिष्ट अनुभव इस दिशा में ही हैं। भारत के सुप्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक एवं आरोग्य मंदिर गोरखपुर के संस्थापक ने भी युवावस्था में अपने पेट की गंभीर बीमारी को ४० दिनों से अधिक जलोपवास द्वारा ही एक प्राकृतिक चिकित्सालय में ठीक किया था। बाद में उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा की विधा सीखकर लाखों लोगों का उपचार कर ठीक किया, जिनमें अधिकांश रोगों में लंबे उपवास को उपचार का अंग बनाया। आज भी आरोग्य मंदिर प्रमुख चिकित्सालय के रूप में सक्रिय है।
Whatever great naturopathic doctors were from India in 1948, all of them have specific experiences in this direction. India's well-known naturopathic doctor and founder of Arogya Mandir Gorakhpur had also cured his serious stomach ailment in his youth by Jalopawas for more than 40 days in a naturopathy hospital. Later he learned the method of naturopathy and cured millions of people, in which most of the diseases made long fasting a part of the treatment. Even today, the Arogya Mandir is active as a major hospital.
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महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने महान ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के नवें समुल्लास में स्वर्ग की परिभाषा देते हुए कहा है कि सुख विशेष का नाम स्वर्ग और दुःख विशेष का नाम नरक होता है। स्वः नाम सुख का होता है। स्वः सुखं गच्छति यस्मिन् स स्वर्गः अतो विपरीतो दुःखभोगो नरक इति। जो सांसारिक सुख है वह सामान्य स्वर्ग और जो परमेश्वर...