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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र अग्रसेन चौक बिलासपुर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित बिलासपुर में एकमात्र Legal केन्द्र है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आर्यसमाज संस्कार केन्द्र अग्रसेन चौक बिलासपुर के अतिरिक्त बिलासपुर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Sanskar Kendra Agrasen Chouk Bilaspur is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Sanskar Kendra Agrasen Chouk Bilaspur is the only controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Chhattisgarh. We do not have any other branch or Centre in Bilaspur. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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मनुष्य योनि

शास्त्रों के अनुसार चौरासी लाख योनियों में मनुष्य योनि ही सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि ? अन्य योनियों जैसे पशु-पक्षी, किट-पतंग आदि में रहते हुए जीव आत्मोद्धार, आत्मकल्याण, भगवत्प्राप्ति के विषय में न तो सोच सकता है और न ही कोई प्रयास-पुरुषार्थ कर सकता है। इसलिए मनुष्य योनि को छोड़कर अन्य योनियों को भोग योनि कहा गया है। भोग योनि इसलिए; क्योंकि जीव अपने कर्मों के अनुसार पशु-पक्षी, वृक्ष, कीट-पतंग आदि जिस भी योनि को प्राप्त हुआ है, उस योनि में रहकर उस योनि में उपलब्ध भोग पदार्थों का भोग मात्र कर सकता है। वह विषय-भोग, पेट-प्रजनन आदि की पूर्ति के लिए उछल-कूद, दौड़-भाग कर सकता है, पर इससे आगे की नहीं सोच सकता।

According to the scriptures, the human vagina is the best among the eighty-four lakh yonis. Because ? Living in other species like animals, birds, kites, kites, etc., the living entity can neither think about self-improvement, self-welfare, God-realization, nor can he make any effort or effort. That is why except the human vagina, other yonis are called bhog yoni. Therefore the enjoyment of the vagina; Because, according to his deeds, the animal-bird, tree, insect-moth, etc., whichever vagina has been received, can only enjoy the pleasures available in that vagina by staying in that vagina. He can jump, run and run for the fulfillment of pleasure, stomach-procreation, etc., but cannot think beyond this.

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  • वैदिक स्वर्ग का स्थान

    महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने महान ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के नवें समुल्लास में स्वर्ग की परिभाषा देते हुए कहा है कि सुख विशेष का नाम स्वर्ग और दुःख विशेष का नाम नरक होता है। स्वः नाम सुख का होता है। स्वः सुखं गच्छति यस्मिन् स स्वर्गः अतो विपरीतो दुःखभोगो नरक इति। जो सांसारिक सुख है वह सामान्य स्वर्ग और जो परमेश्‍वर...

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