किसी में नेता और टीम के सदस्य, दोनों की ही भूमिका महत्वपूर्ण होती है और यदि ये मिलकर कार्य करते हैं तो बड़े-से-बड़े व कठिन-से-कठिन कार्य को भी सहजता व सरलता से कर सकते हैं और यदि इनमें बिखराव हो जाता है, तो छोटा व सरल कार्य करने में भी ये असमर्थ होते हैं। इसलिए कार्य को सफल बनने के लिए टीम वर्क या सामूहिकता के भाव का होना जरूरी है। हर वर्ष एक बुरी आदत को जड़ से उखाड़कर फेंका जाए तो कुछ ही वर्षों में बुरे-से-बुरा व्यक्ति भी भला बन जाता है।
In someone, the role of both the leader and the team member is important and if they work together, they can do even the biggest and most difficult tasks with ease and ease and if they get scattered. If so, they are unable to do even small and simple tasks. Therefore, for the work to be successful, it is necessary to have a sense of teamwork or collectiveness. Every year a bad habit is uprooted and thrown out, then in a few years even the worst person becomes good.
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महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने महान ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के नवें समुल्लास में स्वर्ग की परिभाषा देते हुए कहा है कि सुख विशेष का नाम स्वर्ग और दुःख विशेष का नाम नरक होता है। स्वः नाम सुख का होता है। स्वः सुखं गच्छति यस्मिन् स स्वर्गः अतो विपरीतो दुःखभोगो नरक इति। जो सांसारिक सुख है वह सामान्य स्वर्ग और जो परमेश्वर...