सद्गुरु सच्चिदानंद का स्वरूप बनकर शिष्य के जीवन में उतरता है। इस मिलन-अवतरण में शिष्य का जीवन धन्य हो जाता है और वह गुरुमय-परमात्ममय हो जाता है। उसके रोम-रोम कण-कण में गुरु की चेतना उफनती-लहराती रहती है। आवश्यक सूचना पर ध्यान दें - बिलासपुर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट का अधिकृत / Authorized केन्द्र केवल अग्रसेन चौक सुपर मार्केट में है। इसके अलावा किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा चलाये जा रहे किसी भी केन्द्र या शाखा के लिए ट्रस्ट जिम्मेदार नहीं है। बिलासपुर की इन्दु चौक मगरपारा रोड़ शाखा को बन्द करके इसकी सम्बद्धता / मान्यता / affiliation को अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा समाप्त कर दिया गया है।आर्यसमाज अग्रसेन चौक सुपर मार्केट बिलासपुर द्वारा विवाह हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं जानकारी
आर्यसमाज विवाह (Arya Samaj Marriage) करने हेतु समस्त जानकारियां फोन द्वारा भी प्राप्त की जा सकती हैं। विवाह सम्बन्धी जानकारी या पूछताछ के लिए आप मो.- 8989738486 पर (समय - प्रातः 10 बजे से सायं 8 बजे तक) श्री देव शास्त्री से निसंकोच बात कर समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जिस दिन विवाह करना हो उस मनचाहे दिन की बुकिंग आप फोन पर करा सकते हैं। फोन द्वारा बुकिंग करने के लिए वर-वधू का नाम पता और विवाह की निर्धारित तिथि बताना आवश्यक है।
युगलों की सुरक्षा - प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों की सुरक्षा सम्बन्धी दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अनुक्रम में हमारे आर्य समाज बिलासपुर द्वारा विवाह के पूर्व या पश्चात वर एवं वधू की गोपनीयता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विवाह से सम्बन्धित कोई भी काग़जात, सूचना या जानकारी वर अथवा वधू के घर या उनके माता-पिता को नहीं भेजी जाती है, जिससे विवाह करने वाले युगलों की पहचान को गोपनीय बनाये रखा जा सके, ताकि उनके जीवन की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो सके।
1. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
2. वर-वधु दोनों को निर्धारित प्रारूप में ट्रस्ट द्वारा नियुक्त नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे।
3. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो।
4. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो तथा वे हिन्दू-जैन-बौद्ध या सिक्ख होने चाहिएं।
5. विधवा/विधुर होने की स्थिति में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है।
6. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए।
आर्यसमाज में सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं। अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा वैवाहिक जोड़ों की कानूनी सुरक्षा (Legal Sefety) एवं पुलिस संरक्षण (Police Protection) हेतु नियमित मार्गदर्शन (Legal Advice) दिया जाता है।
सावधान ! Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से इण्टरनेट पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो। सावधान करने के बाद भी जाने-अनजाने में यदि आप गलत जगह फंसते हैं, तो अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की कोई जवाबदारी नहीं होगी।
"आर्यसमाज संस्कार केन्द्र, अग्रसेन चौक बिलासपुर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारतीय ट्रस्ट अधिनियम (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र अग्रसेन चौक" बिलासपुर में ट्रस्ट द्वारा संचालित एकमात्र आर्यसमाज संस्कार केन्द्र है। बिलासपुर में अग्रसेन चौक के अलावा ट्रस्ट का कोई मन्दिर या शाखा अथवा संस्कार केन्द्र नहीं है। आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपका विवाह शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य रजिस्टर्ड संस्था में हो रहा है या नहीं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बडे भवन, हॉल या चमकदार ऑफिस को देखकर गुमराह और भ्रमित ना हों।
अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें -
(समय - प्रातः 10 बजे से सायं 8 बजे तक)क्षेत्रीय कार्यालय (बिलासपुर)
आर्य समाज संस्कार केन्द्र
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
बिलासपुर शाखा
अग्रसेन चौक, सुपर मार्केट
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 495001
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Sadguru enters the life of the disciple in the form of Satchidananda. In this union-incarnation, the life of the disciple becomes blessed and he becomes Gurumaya-Paramatmam. The consciousness of the Guru keeps on rising in his every pore.
गुरु बीज होता है और शिष्य भूमि। जिसके शिष्य के अंतःकरण में आते ही उसके सद्गुणों और सत्प्रवृत्तियों में अभिवृद्धि होने लगती है। यही सच्ची संपदा है। जैसे-जैसे शिष्य की मनोभूमि परिष्कृत होती जाती है, गुरुरूपी बीज की कोपले फूटने लगती हैं।
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Guru is the seed and disciple is the land. As soon as it comes into the conscience of whose disciple, his virtues and good tendencies start increasing. This is the real wealth. As the mind-set of the disciple becomes refined, the buds of the seed of the Guru begin to sprout.
उर्वर भूमि में भी बीज का अंकुर एवं विकास होता है। बीज चाहे कितना ही उम्दा किस्म का क्यों न हो, यदि भूमि ऊसर एवं बंजर हो तो उसकी वृद्धि की कल्पना नहीं की जा सकती है और उपजाऊ और उर्वर भूमि के होने पर भी यदि बीज ठीक न हो, तो अंकुरण संभव नहीं होता। अतः समुचित विकास के लिए बीज का गुण, भूमि का उपजाऊपन दोनों का होना अनिवार्य है।
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महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने महान ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के नवें समुल्लास में स्वर्ग की परिभाषा देते हुए कहा है कि सुख विशेष का नाम स्वर्ग और दुःख विशेष का नाम नरक होता है। स्वः नाम सुख का होता है। स्वः सुखं गच्छति यस्मिन् स स्वर्गः अतो विपरीतो दुःखभोगो नरक इति। जो सांसारिक सुख है वह सामान्य स्वर्ग और जो परमेश्वर...